गूगल के प्ले स्टोर (Google Play Store) से Naukri और 99acres के ऐप हटाए जाने पर उठा विवाद

गूगल के प्ले स्टोर (Google Play Store) से Naukri और 99acres के ऐप हटाए जाने पर उठा विवाद
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गूगल के प्ले स्टोर (Google Play Store) से भारतीय डेवलपर्स के ऐप्स को हटाने का फैसला एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय बन गया है। Naukri और 99acres जैसे जाने-माने ऐप्स को हटाने का यह फैसला गूगल की बिलिंग पॉलिसी के उल्लंघन के चलते लिया गया है। इस लेख में हम इस विवाद के पीछे की कहानी को जानेंगे और इसके आधार पर अपने विचार व्यक्त करेंगे।

डेवलपर्स की आवाज: गूगल (Google) के कदम को बताया अन्यायपूर्ण

गूगल के प्ले स्टोर से Naukri और 99acres जैसे प्रमुख ऐप्स को हटाने का फैसला एक बड़ी उलझन में डेवलपर्स को डाल दिया है। इस कदम को डेवलपर्स ने गूगल का तानाशाह मानते हुए तीखी आलोचना की है।

इस निर्णय के पीछे का मुख्य कारण है गूगल की बिलिंग पॉलिसी के उल्लंघन का आरोप। डेवलपर्स का कहना है कि उन्होंने बिलिंग पॉलिसी का पालन किया था, फिर भी उनके ऐप्स को हटा दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, वे गूगल के निर्णय को न्यायसंगत नहीं मानते हैं।

इस विवाद में, डेवलपर्स ने गूगल के द्वारा उठाए गए कदम की कठोरता के साथ निंदा कर रहे है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस तरह की अनुचित फैसलों के कारण उन्हे गूगल के न्याय प्रक्रिया पर से उनका विश्वास उठता जा रहा है।

डेवलपर्स ने अपनी आवाज उठाया इस अन्याय के विरुद्ध और अपने पक्ष रखते हुए कहा कि गूगल को उनके साथ न्यायाधीन और संवेदनशील रहने की जरूरत है। वे इस मामले में गूगल से संवाद करके और सही निर्णय लेने की अपील करेंगे।

डेवलपर्स का कहना है कि गूगल को अपने निर्णयों पर पुनरावलोकन करना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए सही कदम उठाने की जरूरत है। यह ना सिर्फ उनके अधिकारों की रक्षा करेगा बल्कि भारतीय डेवलपमेंट इकोसिस्टम को भी मजबूत करेगा।

गूगल की मनमानी-

नौकरी और 99acres जैसे प्रमुख ऐप्स को हटाने का फैसला गूगल की बिलिंग पॉलिसी के उल्लंघन के कारण लिया गया है। गूगल के इस फैसले के बाद, भारतीय डेवलपर्स को धक्का लगा। कई भारतीय ऐप्लिकेशन डेवलपर्स इस कदम को गूगल की नापसंदी का शिकार मान रहे हैं और इसे भारतीय स्टार्टअप और IT इकोसिस्टम पर हमले के रूप में देख रहे हैं।

इन्फो एज (Info Edge) की प्रतिक्रिया-

इन्फो एज (Info Edge) के संस्थापक संजीव बिखचंदानी (Sanjiv Bikhchandani) ने बताया कि नौकरी और 99acres ऐप्स गूगल की बिलिंग पॉलिसी का पालन कर रहे थे, लेकिन फिर भी उन्हें प्ले स्टोर से हटा दिया गया। उनका कहना है कि गूगल ने इस कदम के माध्यम से भारतीय डेवलपर्स को अपनी बिलिंग पॉलिसी का पालन करने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया है।

विवाद सुलझाने की मांग: IAMAI ने दी गूगल को चेतावनी

भारतीय इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने गूगल पर एडवाइजरी जारी की है और उसे भारतीय ऐप्लिकेशन्स को प्ले स्टोर से हटाने से रोकने की अपील की है। IAMAI का कहना है कि इस कदम से गूगल ने नैतिकता का उल्लंघन किया है और भारतीय डेवलपर्स पर अनुचित तरीके से प्रतिबंध लगाया है।

अनुपम मित्तल का Tweet: “गूगल की नई नीति हमें परेशानी में डाल रही है”

Shaadi.com के संस्थापक अनुपम मित्तल ने गूगल के इस कदम को भारतीय इंटरनेट के लिए काला दिन घोषित किया है। उन्होंने गूगल को ‘नई डिजिटल ईस्ट इंडिया’ कंपनी बताया।

भारतीय डेवलपर्स की चिंता: “गूगल (Google) के कदम से अनियमितता का सामना”

गूगल के इस कदम से भारतीय डेवलपर्स को चिंता बढ़ गई है। वे इसे अनीतिपूर्ण और अव्यवस्थित मान रहे हैं और इसके खिलाफ प्रतिक्रिया जता रहे हैं। डेटिंग ऐप QuackQuackin के संस्थापक और सीईओ रवि मित्तल ने कहा कि गूगल की ओर से ऐप को बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक डीलिस्ट कर देने से वह काफ़ी हैरान है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद गूगल की मनमानी नीतियों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।

निष्कर्ष:

इस विवाद से स्पष्ट होता है कि गूगल की बिलिंग पॉलिसी के लिए भारतीय डेवलपर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह भी स्पष्ट होता है कि गूगल के इस कदम से भारतीय ऐप्लिकेशन इंडस्ट्री पर गहरा असर पड़ रहा है। इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि भारतीय डेवलपर्स को न्याय मिल सके और उनका विश्वास बना रहे।

गूगल के इस कदम से उत्पन्न विवाद को समझने के लिए हमें विश्वास है कि संबंधित पक्षों की सुनवाई होगी और उचित न्याय मिलेगा।

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